यौन उत्पीड़न

बलात्कार करना या करने की कोशिश करना और यौन हमला।
यौन संबंध के लिए अनचाहा दबाब (जबरदस्ती करना)।
जान-बुझ कर सटना, ऊपर झुकना, और चिकोटी काटना ।
गंदी निगाओं से देखना और इशारे करना।
अनचाहे पत्र भेजना, फोन करना और यौन प्रकृति के अन्य साधन।
जबरदस्ती घुमने के लिए ले जाना।
बेवजह गंदे चुटकले सुनाना, प्रश्न पूछना, बताना और परेशान करना।
युवा लड़कियों को गुड़िया, बेबी, हनी कहकर बुलाना।
सीटियाँ बजाना ।
गंदी टिप्पणियाँ देना।
कार्यसंबंधी चर्चा को यौन विषयों में बदलना।
यौन कल्पनाओं, पसंद व बीते हुए कल के बारे में पूछना।
किसी को सामाजिक और यौन जीवन के बारे में प्रश्न पूछना।
किसी व्यक्ति के कपड़ों, शरीर व नैन-नक्शा के बारे में गंदी टिप्पणियाँ देना।
इसके हानिकारक परिणामों में परिवार और दोस्तों से दूर जाना, उम्र के बच्चों के साथ बातचीत की स्वतंत्रता का अभाव होना, सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग न ले पाना, और शिक्षा के लिए अवसरों की कमी शामिल है।
भारत में विवाह के लिए लड़की की कानूनी उम्र 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है।
भारत में इससे छोटी उम्र के लोगों का विवाह करना कानूनी अपराध है और यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के विरुद्ध दोषी पाया जाता है तो वह दंड का पात्र है।
भ्रूण हत्या और लिंग चयनात्मक गर्भपात
भ्रूण हत्या लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का रक रूप है।
भ्रूण हत्या लड़कियों के जन्म को नकारती है।
अल्ट्रासाउंड/स्केनिंग के द्वारा को बढ़ावा देता है।
लिंग जाँच गर्भपात (इसे बेटे को वरीयता देना और बेटी को अस्वीकार करना भी कहा जाता) लिंग के चयन की विधि है जो उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहाँ लडकों लड़कियों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है।

घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा को घरेलू दुर्व्यवहार, बाल दुर्व्यवहार और अन्तरंग साथी हिंसा भी कहा जाता है। मोटे तौर पर इसे एक अन्तरंग संबंध जैसे शादी, डेटिंग, परिवार, दोस्तों या सहवास में दोनों भागीदारोंद्वारा अपमानजनक व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
घरेलू हिंसा के कई प्रकार है जैसे शारीरिक दुर्व्यवहार (मारना, लात मारना, काटना, वस्तुएं फेंकना), यौन शोषण, भावनात्मक दुर्व्यवहार, जबरदस्ती, धमकियां देना, तिरस्कार करना, गुप्त दुर्व्यवहार और आर्थिक अभाव।
घरेलू हिंसा एक दंडनीय अपराध है।
रिंग द बेल
नवीन संचार माध्यम के उपयोग से ‘बेल बजाओ” एक ऐसा राष्ट्रीय अभियान है जिसकी पहुंच पूरे भारत में है। यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, अभियान राजदूत और फ़िल्म स्टार ‘बोमन ईरानी’ के समर्थन से अगस्त, 2008 में शुरू किया गया था।

अनैतिक व्यापार


विभिन्न प्रयोजनों के लिए बच्चों और औरतों की तस्करी सहित यौन शोषण भी मानवता के खिलाफ अपराधों में से एक है।
युवा लड़कियों और लड़कों को बंधक बनाकर काम पर रखना, बेचना और उन्हें शोषण की स्थिति में डालना अनैतिक व्यापार में आता है।
इन्हें वेश्यावृति और गुलामी के लिए मजबूर किया जाता है जैसे” बंधुआ मजदूरी और मालिकों द्वारा नौकर के साथ क्रूर व्यवहार।
अनैतिक व्यापार के परिणाम
अनैतिक व्यापर में पीडित व्यक्ति को शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बहुत बार पुलिस, दूसरों की पूछताछ, परिवार, दोस्तों इत्यादि के सवालों की वजह से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि वह खुद की वजह से पीड़ित है व इस स्थिति का जिम्मेदार वह स्वयं है।
अनैतिक व्यापार पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक चिंता, तनाव और शारीरिक समस्याओं से घिरा रहता है।
नरहत्या कहलाती है। उदारहण के लिए खून करना।
आत्महत्या इस शब्द का प्रयोग अपने आप को जान से मरने के लिए किया जाता है। मानसिक असंतुलन, दबाव, शराब तथा नशीली दवाइयों का उपयोग भी आत्महत्या के कारणों में शामिल है। ज्यादातर लोग आत्महत्या की कोशिश किसी स्थिति से पीछा छुड़ाने, कम असंभव लगने पर और बुरे विचारों व भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए करते हैं।
मानसिक तनाव-तनाव जीवन का सामन्य हिस्सा है। ज्यादातर तनाव के कारण स्वजनित होते हैं। जिसका हम सभी अपने-अपने तरीकों से समाना करते हैं जैसे- बीमार रहना, किसी प्रिय का मर जाना, लोगों द्वारा आलोचना, नौकरी का छुटना और गुस्सा आना आदि। तनाव शरीर तथा मन दोनों को प्रभावित करता जिसे और अधिक समस्याएं उत्पन्न होती है।
अपराध से संबंधित कानून
जनहित याचिका (पीआइएल)
जनहित याचिका गरीब और सामाजिक/आर्थिक लाभ से वंचित लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए शुरू की गई थी।
जनहित याचिका दर्ज कराने की शर्तें
यह समुदाय के कमजोर वर्ग के लोगों, जिन्हें नैतिक एवं संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है उनके मौलिक मानवीय अधिकारों को लागू करने के लिए जरूरी है।
जनहित याचिका (पीआइएल) कैसे दर्ज की जाती है
जनहित याचिका एक लिखित याचिका के रूप में दर्ज की जा सकती है।
जनहित याचिका (पीआइएल) किसके खिलाफ दर्ज की सकती है।
जनहित याचिका किसी राज्य सरकार एवं केन्द्रीय सरकार, नगर निगम अधिकारों के खिलाफ दर्ज कर सकते है। जनहित याचिका किसी निजी पार्टी के खिलाफ दर्ज नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे दिल्ली में निजी कंपनियां प्रदूषण का करण बन हरी है और लोगों को रहने में परेशानी हो रही है तो ऐसे में भारत सरकार व राज्य प्रदूषण समिति उन कंपनियों के विरुद्ध जनहित याचिका दर्ज कर सकती है।

महिलाओं के अधिकार

अधिकार से तात्पर्य ऐसी स्वतंत्रता से है जो व्यक्तिगत बेहतरी के लिए तथा सम्पूर्ण समुदाय की भलाई के लिए आवश्यक है।
जीने के अधिकार: जीने का अधिकार का आशय है कि प्रत्येक व्यक्ति का शरीर पर पूर्ण अधिकार है। अजन्मे बच्चे का मौलिक अधिकार है कि वह जन्म ले, न कि नई चिकित्सा प्रणाली या भ्रूण हत्या द्वारा उसके जीवन का अंत किया जाए।
स्वतंत्रता का अधिकार: स्वतंत्रता का अर्थ है कि एक व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवहार करने का अधिकार है। आप जब चाहे, जो चाहे का सकते हैं हैं बशर्तें कि आप के कार्य से किसी दूसरे के अधिकारों में बाधा न आये।
व्यक्तिगत रक्षा का अधिकार: महिला और पुरुष दोनों को सभी प्रकार की हिंसा से मुक्त रहने का अधिकार है।
वोट का अधिकार: महिलाओं को पुरुषों के समान वोट देने का अधिकार है। भारत में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार है।
प्रजनन का अधिकार: महिलाओं के प्रजनन अधिकार उनकी सामजिक और आर्थिक स्थिति के भेदभाव से मुक्त होने चाहिए।
सामजिक सुरक्षा का अधिकार: सामजिक सुरक्षा का अधिकार समाज में संवेदनशील सदस्यों को सुरक्षा का अधिकार देता है। यहराज्य सरकार का दायित्व है कि वह समाज के संवेदनशील सदस्यों को पर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य और आवास की सुविधा सुनिश्चित करें।
शिक्षा का अधिकार: यह अधिकार सभी बच्चों के लिए मुप्त व अनिवार्य प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा का प्रावधान देता ही। यह उन सभी व्यक्तियों को मूल शिक्षा का अधिकार देता है जिन्होंने अपनी प्राथमिकशिक्षा पूरी नहीं की हो।
शोषण के विरुद्ध अधिकार: यह बेगार, बाल श्रम (14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से कम करवाना) का उन्मूलन प्रदान करता है और वेश्यावृत्ति के प्रयोजन के लिए मानव के अवैध व्यापार को भी कानून द्वारा निषिद्ध करता है।
अपनी भाषा, शैली और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार: संरक्षण के अधिकार का मतलब है अपनी भाषा, शैली और संस्कृति को सुरक्षित बनाए रखना।
बिना भेदभाव के शिक्षण संस्थान में प्रवेश का अधिकार: सभी बच्चों को किसी भी शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेने का अधिकार है। प्रत्येक नागरिक को शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेने का अधिकार है। उसके साथ धर्म, वंश, जाति, भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए शैक्षिक योजनाएं
राष्ट्रीय शिक्षा मिशन

राष्ट्रीय शिक्षा मिशन प्रौढ़ शिक्षा निदेशलय द्वारा संचालित है।
इस मिशन के तहत 15-35 वर्ष के निरक्षर व्यक्तियों को शिक्षित बनाने का लक्ष्य है।
इसमें महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए विशेष प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है।
जन शिक्षण संस्थान
यह कार्यक्रम शहर और औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे वयस्कों को शिक्षा प्रदान करने के लिए चलाया जा रहा है।
यह कार्यक्रम प्रौढ़ शिक्षा और सतत शिक्षा के माध्यम से कुशलताओं में सुधार लाता है।
ये शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला साक्षरता समितियों को शैक्षिक और तकनीकी सहयोग प्रदान करता है।
राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान
राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान द्वारा मुक्त प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, तीन स्तरों पर चलाए जाते हैं। A, B, और C जो औपचारिक विद्यालय की III, V, VIII कक्षाओं के समकक्ष होते हैं।
राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान, मुक्त और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रदान करता है।
राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान के तहत शिक्षा प्राप्त करने की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।
सर्व शिक्षा अभियान
सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य 6-14 के सभी बच्चों को प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा वैकल्पिक शिक्षा की सुविधा को सुनिश्चित कराना है।
सर्व शिक्षा अभियान शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने, उचित भवन, शौचालय, पीने का पानी, ब्लैकबोर्ड और खेल के मैदान जैसी सुविधाएं प्रदान करने में मदद करता है।
समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस)

आईसीडीएस के उद्देश्य

0-6 वर्ष के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना।
बच्चों के उचित मानसिक, सामजिक और शारीरिक विकास की सही नींव का निर्माण करना।
मृत्यु दर, अस्वस्थता दर, कुपोषण और विद्यालय छोड़ने की दर को कम करना।
बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों की योजनाओं व नीतियों को प्रभावकारी व समन्वित तरीके से जोड़ना।
पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से माँ को बच्चे के सामान्य स्वास्थ्य और उचितपोषण की देखभाल की क्षमता को बढ़ाना।
आईसीडीएस कार्यक्रम को 14 लाख बस्तियों के लिए सर्वव्यापी किया जा चूका है। इस कार्यक्रम में महिलाओं और बच्चों के लिए निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाती है:
पूरक पोषण
अनौपचारिक पूर्व-स्कुल शिक्षा
प्रतिरक्षण
स्वास्थ्य जाँच
निद्रिष्ट सेवाएं
पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा
रोजगार
एक गतिवधि, जिसमें एक व्यक्ति अपना समय और ध्यान लगाकर व्यस्त रहता है, रोजगार कहते है। उदाहरण के लिए, उद्योग, नौकरी, कृषि यांत्रिक, सरकारी, सार्वजानिक रोजगार आदि।

रोजगार का महत्व

धन कमाने के लिए
जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए
जीवित रहने के लिए
आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए
रोजगार के प्रकार

रोजगार को 2 प्रकार से वर्गीकृत किया गया है:

पूर्ण-कालिक रोजगार: पूर्ण-कालिक रोजगार में कर्मचारी उसके नियोजक द्वारा निर्धारित समय तक कार्य करता है। उदाहरण के लिए सभी नियमित कर्मचारी।
अंश-कालिक रोजगार: अंश-कालिक रोजगार कर्मचारी किसी एक ही स्थान पर काय करने के लिए बाध्य नहीं होता है। उदाहरण-काम करने वाले विद्यार्थी ड्राइवर जो दो या अधिक अलग जगह कार्य करते हैं।
रोजगार के लिए आवश्यक कुशलताओं में सम्मिलित हैं- समयनिष्ठा, ईमानदारी, कड़ी मेहनत, कर्मठता व संस्था के प्रति वफादारी।

समय प्रबन्धन

समय प्रबन्धन के सन्दर्भ में दो निपुणताएं, उपकरण और तकनीकें सम्मिलित हैं जिनका उपयोग किसी विशेष कार्य, परियोजना और उद्देश्यों को पूरा करने के के लिए किया जाता है। समय का उपयोग कुशल प्रंबधन या एक संसाधन के रूप में करें।
व्यक्ति को प्रतिदिन गतिविधि के आधार पर समय का प्रंबधन करने में सक्षम होना चाहिए जैसे भोजन बनाना, सफाई, घर के काम, बच्चों को पढ़ाना आदि धन कमाने से संबधित गतिविधियाँ।
रोजगार योजनाएं
केन्द्रीय व राज्य सरकार द्वारा महिलाओं व पुरूषों के लाभ के लिए विभिन्न योजाएं चलाई गेन हैं इनमें से कुछ नीचे दी गई हैं:

प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई)

प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 18 से 35 वर्ष के अशिक्षित युवा वर्ग को रोजगार उपबल्ध कराया जाता है।
इस योजना के तहत कम से कम 8वीं कक्षा तक के शिक्षित युवाओं को लिया जाता है।
समाज के कमजोर वर्ग जैसे महिलाओं को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
इस योजना में अनुसूचित-जाती तथा जनजाति के लिए 22.5% तथा अन्य पिछड़ी जनजाति के लिए 27% स्थान आरक्षित हैं।
निश्चित रोजगार योजना (ईजीएम)
यह योजना जिला ग्रामीण विकास संस्थाओं तथा पंचायतों द्वारा क्रियान्वित की गिया है।
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय की आवश्यकताओं के अनुसार सड़कों, कुँओं और जलाशयों की संरचना के निर्माण में मदद की जाती है।
इस योजना में क्षेत्र के लोगों को भाड़े पर काम करने के लिए लिया जाता है, और उन्हें मजदूरी दी जाती है। जब उनके खेतों में काम नहीं होता है तब यह योजना उन्हें पैसे कमाने में मदद करती है।
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना (जेजीएसवाई)
इस योजना के लिए केन्द्रीय और राज्य सरकार के द्वारा पैसा दिया जाता ही।
इसमें गाँव में सड़क, मकान तथा अन्य संरचना के निर्माण के लिए लोगों के भाड़े पर रखा जाता है।
इस योजना में अनुसूचित-जाती तथा जनजाति जिनके पास कोई कार्य नहीं होता है था तथा जो गरीबी रेखा से नीचे होते हैं उनकी मदद के लिए उन्हें कार्य पर रखा जाता है तथा पैसे कमाने का मौका दिया जाता है।
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई)
इस योजना के अंतर्गत स्व-रोजगार के सभी क्षेत्र आते हैं।
इस योजना की शुरुआत लोगों के स्व-सहायता समूह स्थापित करके की जाती है। उन्हें लघु-उद्योग स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण और ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
इस योजना में प्रत्येक ब्लॉक में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को मदद दी जाती है। यह मदद उन्हें अपने काम का सामान जैसे-खाना बनाने व बेचने के बर्तन, साइकिल की मरम्मत के लिए उपकरण व अन्य चीजें धन कमाने के लिए दी जाती है।
इनकों कुछ धन बैंक से उधार के तौर पर और कुछ धन सरकार की तरफ से दिया जाता है। यह मदद व्यक्तिगत तौर पर एक, परिवार को या किसी समूह को दी जा सकती है।
आजीविका
आजीविका का मतलब – आजीविका का तात्पर्य विशेष तौर पर भली भांति पैसा कमाकर स्वयं का भरण-पोषण करना है। आजीविका तथा निर्वाह का मतलब न केवल पैसा कमाना और जीवित रहना है, बल्कि जीवनयापन के लिए सही तौर तरीका होना भी है।

दीर्घकालिक आजीविका पद्धति (एसएलए)

दीर्घकालिक आजीविका पद्धति, गरीब लोगों की आजीविका पद्धति को समझने का एक तरीका है।
इस पद्धति का इस्तेमाल विकास की नयी गतिविधियों की योजना और मौजूदा गतिविधियों का आजीविका में योगदान का आकलन करने में किया जाता ही।
ये पद्धति गरीब ग्रामीण लोगों को ध्यान में रखते हए उन्हें उस प्रभावमंडल के केंद्र में रखती है जिससे ये लोग स्वयं व परिवार के लिए आजीविका के नए साधन बना सकते हैं।
ये गरीब लोगों के द्वारा बताई गई मुख्य कठिनाइयों के सामना करने व अवसरों के आकलन में मदद करती है।
आजीविका की रणनीतियां
ढांचे का यह घटक जाँच करता है कि कैसे लोग अपनी सम्पत्ति का उपयोग करके आजीविका चलाते हैं।
विविध प्रकार की गतिविधियों में शहरी तथा ग्रामीण भौगोलिक स्थानों में रह रहे एक ही घर के सदस्यों की रणनीतियाँ भिन्न-भिन्न हो सकती अहि।
आजीविका के विकल्पों की उपलब्धता काफी हद तक लोगों के पास मौजूदा सम्पत्तियों और साधनों पर निर्भर करती हैं।
स्त्रोत: अल्पसंख्यकों का मंत्रालय, भारत सरकार